Thursday 22 March 2018


उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा 
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा

चखाएँगे मज़ा बर्बादिए गुलशन का गुलचीं को 
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा

ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल 
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा

जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज़ 
न जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ औ तू कहाँ होगा

वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है 
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा


कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे 
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा
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